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Vivekanand Ki Atmakatha by Sankar    Vivekanand Ki Atmakatha by Sankar Vivekananda Book View On Amazo n स्वामी विवेकानंद नवजागरण...

Vivekanand Ki Atmakatha by Sankar

Vivekanand Ki Atmakatha by Sankar 


 
Vivekanand Ki Atmakatha by Sankar Vivekananda Book In HIndi
Vivekanand Ki Atmakatha by Sankar Vivekananda Book


स्वामी विवेकानंद नवजागरण के पुरोधा थे। उनका चमत्कृत कर देनेवाला व्यक्‍तित्व, उनकी वाक‍्‍शैली और उनके ज्ञान ने भारतीय अध्यात्म एवं मानव-दर्शन को नए आयाम दिए। मोक्ष की आकांक्षा से गृह-त्याग करनेवाले विवेकानंद ने व्यक्‍तिगत इच्छाओं को तिलांजलि देकर दीन-दुःखी और दरिद्र-नारायण की सेवा का व्रत ले लिया। उन्होंने पाखंड और आडंबरों का खंडन कर धर्म की सर्वमान्य व्याख्या प्रस्तुत की। इतना ही नहीं, दीन-हीन और गुलाम भारत को विश्‍वगुरु के सिंहासन पर विराजमान किया। ऐसे प्रखर तेजस्वी, आध्यात्मिक शिखर पुरुष की जीवन-गाथा उनकी अपनी जुबानी प्रस्तुत की है प्रसिद्ध बँगला लेखक श्री शंकर ने। अद‍्भुत प्रवाह और संयोजन के कारण यह आत्मकथा पठनीय तो है ही, प्रेरक और अनुकरणीय भी है।.

About the Author

शंकर शंकर (मणि शंकर मुखर्जी) बांग्ला के सबसे ज्यादा पढ़े जानेवाले उपन्यासकारों में से हैं। ‘चौरंगी’ उनकी अब तक की सबसे सफल पुस्तक है, जिसका हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में अनुवाद हो चुका है; साथ ही सन् 1968 में इस पर बांग्ला में फिल्म भी बन चुकी है। ‘सीमाबद्ध’ और ‘जन अरण्य’ उनके ऐसे उपन्यास हैं, जिन पर सत्यजित रे ने फिल्में बनाईं। संप्रति कोलकाता में निवास। अनुवादक सुशील गुप्‍ता अब तक लगभग 130 बांग्ला रचनाओं का हिंदी में अनुवाद कर चुकी हैं। उनके कई कविता-संग्रह प्रकाशित हैं। उन्होंने प्रोफेसर भारती राय की आत्मकथा ‘ये दिन, वे दिन’ का भी मूल बांग्ला से अनुवाद किया।.


Product details

Reading level: 18.00+ years
Paperback: 376 pages
Publisher: Prabhat Prakashan; 1 edition (2020)
Language: Hindi

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